रेलवे में तीन लाख से अधिक पद खाली, सोशल मीडिया पर हुआ Trends
रेल मंत्री प्रदेश में रेलवे के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, मगर रेलवे मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा है। यह स्थिति केवल ओड़िशा या पूर्व तट रेलवे में नहीं है, बल्कि पूरे देश में और लगभग सभी जोन में है। देश में रेलवे में 3 लाख से अधिक पद खाली है जबकि पूर्व तट रेलवे में 8 हजार से अधिक पदों पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। अन्य जोन की तुलना में ओडिशा में नियुक्ति संख्या काफी कम है। खाली पड़े पदों में निचले स्तर के कर्मचारियों के ज्यादा पद खाली हैं। सुरक्षा कार्य में इन कर्मचारियों की ज्यादा आवश्यकता है।
रेलवे में तीन लाख से अधिक पद खाली
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 1 दिसंबर 2022 तक भारतीय रेलवे में कुल 2,98,973 पद खाली पड़े थे जिसमें पूर्व तट रेलवे में खाली पड़े 8,278 पद भी शामिल है। वहीं इस वर्ष 1 जनवरी तक खाली पड़े पदों की संख्या बढ़कर 3 लाख 1 हजार 750 तक पहुंच गई है। इसमें पूर्व तट रेलवे में खाली पदों की संख्या 8,383 है। जानकारी के मुताबिक, गैर गेजेटेड ग्रुप सी में खुर्दा रोड डिवीजन में 1,704 पद खाली है जबकि वाल्टियर डिविजन में 3,204, संबलपुर डिविजन में 1,074 पद खाली है।
खाली पड़े पदों के मुकाबले नहीं हो रही नियुक्ति
वहीं दूसरी तरफ 2018-19 में पूर्वोत्तर रेलवे में मात्र 6 लोगों की नियुक्ति हुई है। वहीं वर्ष 2019-20 में 1500, वर्ष 2020-21 में 7 लोगों को नियुक्ति मिली है। वर्ष 2021-22 एवं वर्ष 2022-23 में किसी को भी नियुक्ति नहीं मिली है। इस वर्ग में नियुक्ति दर लगातार घटती जा रही है। वर्ष 2018-19 में 4,766 लोगों को नियुक्ति दी गई थी जबकि 2022-23 में मात्र 831 लोगों को नियुक्ति मिली है।
रेल मंत्री ने दी यह अहम जानकारी
रेल सुरक्षा बल में नियुक्ति की बात करें तो 2019 एवं 2020 में 49 सब इंस्पेक्टर, 168 कांस्टेबल (कार्यकारी),17 कांस्टेबल (आनसेलरी) को नियुक्ति मिली है। वर्ष 2018, वर्ष 2021 एवं वर्ष 2022 में एक भी नियुक्ति नहीं हुई है। आरआरबी भुवनेश्वर के अंतर्गत 2017 से 2023 के बीच गैर गैजेटेड स्तर पर 4,770 लोगों को नियुक्ति मिली है। उक्त जानकारी राज्य सभा में विभिन्न सांसदों के प्रश्न के उत्तर में रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव द्वारा दिए गए तथ्य से मिली है।
कर्मचारी ओवरटाइम करने को हुए मजबूर
रेलवे के विशेषज्ञों का कहना है कि रेल विभाग में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण दायित्व है। इसके अलावा रेलवे में एकाधिक संवेदनशील विभाग है। यदि पर्याप्त कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जाएगी तो फिर सभी कार्य प्रभावित होंगे। नियोजित कर्मचारी ओवरटाइम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं एवं कभी-कभी तो 16 घंटे तक कार्य करने की बात सामने आ रही है।