30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर बन रहा दुर्लभ त्रि-संयोग, जानिए कौन से काम होंगे बिना मुहूर्त के शुभ!

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 30 अप्रैल 2025, बुधवार को अक्षय तृतीया का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मालव्य योग, गजकेसरी योग और लक्ष्मी नारायण योग का अद्भुत त्रि-संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा जी के अनुसार इस विशेष संयोग में सोना-चांदी, वाहन, भूमि, मकान, आभूषण और गृहस्थ जीवन के नए कार्य बिना पंचांग देखे किए जा सकते हैं। धर्मशास्त्रों में इसे सर्वसिद्ध मुहूर्त कहा गया है, जिसमें किए गए कार्य अक्षय फलदायी होते हैं।

हिन्दुओ के प्रमुख त्योहार में से एक अक्षय तृतीया इस वर्ष 30 अप्रैल बुधवार के दिन मनाई जाएगीइस दिन मालव्ययोग, गजकेसरी और लक्ष्मी नारायण योग तीनों का संयोग पड़ रहा है गजकेसरी और मालव्य योग किसी भी कार्य के शुभारंभ हेतु किसी भी नये घर , वाहन प्लाट संतान जमीन जायदाद मकान सोना चांदी हीरे जवाहरात आभूषण इत्यादि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है इस दिन किसी भी कार्य का प्रारंभ होना जमीन जायदाद लेने को अत्यंत शुभ फल दायक माना जाता है इसी तरह लक्ष्मी नारायण योग को विवाह शादी एवं शुभ कार्यों के लिए जिसमें विशेष रूप से विवाह शादी या विवाह शादी का तय होना अत्यंत शुभ फलदायक माना जाएगा, इस दिन विशेष रूप से मेष, वृषभ, सिंह, कन्या तुला ,मकर,मीन राशियों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ सफलतायक माना जाएगा इस राशि के व्यक्तियों द्वारा किसी प्रकार की नयी खरीद या नए कार्य का शुभारंभ या नया वाहन लेना अत्यंत सफल दायक माना जाएगा जिसमें सोना चांदी हीरे जवाहरात एवं गृह उपयोगी वस्तुओं का लेना प्रमुख है

🌻वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षयतृतीया कहते हैं, यह सनातन धर्मियों का प्रधान त्यौहार है, इस दिन दिये हुए दान और किये हुए स्त्रान, होम, जप आदि सभी कर्मोंका फल अनन्त होता है – सभी अक्षय (जिसका क्षय या नाश ना हो) हो जाते हैं ; इसी से इसका नाम अक्षय हुआ है,

🌹अक्षय तृतीया अभिजीत मुहुर्त
🌟स्वयंसिद्ध साढेतीन मुहूर्त के रुप में अक्षय तृतीया का बहुत अधिक महत्व है। धर्म शास्त्रों में इस पुण्य शुभ पर्व की कथाओं के बारे में बहुत कुछ विस्तार पूर्वक कहा गया है. इनके अनुसार यह दिन सौभाग्य और संपन्नता का सूचक होता है. दशहरा, धनतेरस, देवउठान एकादशी की तरह अक्षय तृतीया को अभिजीत, अबूझ मुहुर्त या सर्वसिद्धि मुहूर्त भी कहा जाता है. क्योंकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य करने हेतु पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अर्थात इस दिन किसी भी शुभ काम को करने के लिए आपको मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती. अक्षय अर्थात कभी कम ना होना वाला इसलिए मान्यता अनुसार इस दिन किए गए कार्यों में शुभता प्राप्त होती है. भविष्य में उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

💥हिन्दू समुदाय के अतिरिक्त जैन धर्म के लोग भी इस तिथि को बहुत महत्व देते है। इस दिन बिना पंचांग या शुभ मुहूर्त देखे आप हर प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, वस्त्र आभूषण आदि की खरीदारी, जमीन या वाहन खरीदना आदि को कर सकते है। पुराणों में इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान या अन्य किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है। इतना ही नहीं इस दिन किये जाने वाला जप, तप, हवन, दान और पुण्य कार्य भी अक्षय हो जाते है।

🍁आज के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों उच्च राशि मे होते है।अतः मन और आत्मा दोनों से बलवान रहते है,तो आज आप जो भी कार्य करते है वो मन और आत्मा से जुड़ा रहता है ऐसे में आज का किया पूजा पाठ और दान पुण्य बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावी होते है।

🔥इसी तिथि को नर – नारायण, परशुराम और हयग्रीव – अवतार हुए थे; इसलिये इस दिन उनकी जयन्ती मनायी जाती है तथा इसी दिन त्रेतायुग भी आरम्भ हुआ था, अतएव इसे मध्याह्न व्यापिनी ग्रहण करना चाहिये, परंतु परशुरामजी प्रदोष काल में प्रकट हुए थे; इसलिये यदि द्वितीया को मध्याह्नसे पहले तृतीया आ जाये तो उस दिन अक्षयतृत्तीया, नर – नारायण जन्मोत्सव, परशुराम जन्मोत्सव और हयग्रीव जन्मोत्सव सब सम्पन्न की जा सकती हैं और यदि द्वितीया अधिक हो तो परशुराम – जन्मोत्सव दूसरे दिन होता है। यदि इस दिन गौरीव्रत भी हो तो ‘ गौरी विनायकोपेता ‘ के अनुसार गौरीपुत्र गणेशकी तिथि चतुर्थीका सहयोग अधिक शुभ होता है। अक्षयतृत्तीया बड़ी पवित्र और महान् फल देनेवाली तिथि है, इसलिये इस दिन सफलता की आशा से व्रतोत्सवादिके अतिरिक्त वस्त्र, शस्त्र और आभूषणादि बनवाये अथवा धारण किये जाते है तथा नवीन स्थान, संस्था एवं समाज वर्षकी तेजी – मंदी जाननेके लिये इस दिन सब प्रकारके अन्न, वस्त्र आदि व्यावहारिक वस्तुओं और व्यक्तिविशेषोंके नामोंको तौलकर एक सुपूजित स्थानमें रखते हैं और दूसरे दिन फिर तौलवर उनकी न्यूनाधिकता से भविष्य का शुभाशुभ मालूम करते हैं, अक्षयतृत्तीया में तृत्तीया तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र ये तीनों हों तो बहुत श्रेष्ठ माना जाता है, किसान लोग उस दिन चन्द्रमाके अस्त होते समय रोहिणी का आगे जाना अच्छा और पीछे रहे जाना बुरा मानते हैं !!
🔷अक्षयतृतीया के दान एवं खरीददारी*
🌟राशि के अनुसार करें इसकी खरीदारी
🌺मेष सोना, पीतल।
🌺वृष चांदी, स्टील।
🌺मिथुन सोना, चांदी , पीतल।
🌺कर्क चांदी, वस्त्र।
🌺सिंह सोना, तांबा।
🌺कन्या सोना, चांदी, पीतल।
🌺तुला चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर।
🌺वृश्चिक सोना, पीतल।
🌺धनु सोना, पीतल, फ्रिज, वाटर कूलर।
🌺मकर सोना, पीतल, चांदी, स्टील।
🌺कुंभ सोना, चांदी, पीतल, स्टील, वाहन।
🌺मीन सोना, पीतल, पूजन सामग्री व बर्तन।

♦ग्रहों से सम्बंधित दान:

🌷सूर्य- लाल चंदन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, स्वर्ण, माणिक्य, घी व केसर का दान सूर्योदय के समय करना लाभप्रद होता है।

🌷चंद्रमा- चांदी, चावल, सफेद चंदन, मोती, शंख, कर्पूर, दही, मिश्री आदि का दान संध्या के समय में फलदायी है।

🌷मंगल- स्वर्ण, गुड़, घी, लाल वस्त्र, कस्तूरी, केसर, मसूर की दाल, मूंगा, ताम्बे के बर्तन आदि का दान सूर्यास्त से पौन घंटे पूर्व करना चाहिए।

🌷बुध- कांसे का पात्र, मूंग, फल, पन्ना, स्वर्ण आदि का दान अपराह्न में करें।

🌷गुरु- चने की दाल, धार्मिक पुस्तकें, पुखराज, पीला वस्त्र, हल्दी, केसर, पीले फल आदि का दान संन्ध्या के समय करना चाहिए।

🌷शुक्र चांदी, चावल, मिश्री, दूध, दही, इत्र, सफेद चंदन आदि का दान सूर्योदय के समय करना चाहिए।

🌷शनि- लोहा, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते व नीलम का दान दोपहर के समय करें।

🌷राहु- तिल, सरसों, सप्तधान्य, लोहे का चाकू व छलनी व छाजला, सीसा, कम्बल, नीला वस्त्र, गोमेद आदि का दान रात्रि समय करना चाहिए।

🌷केतु- लोहा, तिल, सप्तधान, तेल, दो रंगे या चितकबरे कम्बल या अन्य वस्त्र, शस्त्र, लहसुनिया व बहुमूल्य धातुओं में स्वर्ण का दान निशा काल में करना चाहिए।
🌞प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष*श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी -9756402981,7500048250

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