रक्षाबंधन आज या कल? जानें राखी बांधना कब रहेगा शुभ
30 अगस्त गुरूवार -रक्षाबंधन मुहूर्त के विषय में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा।
आज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है। दरअसल रक्षाबंधन के त्योहार की पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ने और साथ ही भद्रा का साया रहने के कारण इसको लेकर मतभेद है कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाना शुभ होगा या फिर 31 अगस्त को।
भाई बहन के पावन रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा युगों से मनाया जा रहा है इस त्योहार के माध्यम से भाई बहन के बीच आपसी जिम्मेदारी और स्नेह में वृद्धि होती है।
रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा 31 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 7:05 तक है उदया तिथि होने से यह शुभ त्योहार पूरे दिन समस्त भारतवर्ष में मनाया जाएगा।
शास्त्रानुसार रक्षाबंधन में भद्रा टाली जाती है, जो इस बार पूरे दिन नहीं है। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा।
रक्षाबंधन शुभ समय
🌻रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ रही हो। हालाँकि आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
🌻 यदि पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा हो तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो पर्व के सारे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में करने चाहिए।
🌻 लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं। यद्यपि पंजाब आदि कुछ क्षेत्रों में अपराह्ण काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह निषेध है, चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो।
🌻ग्रहण सूतक या संक्रान्ति होने पर यह पर्व बिना किसी निषेध के मनाया जाता है।
🌻ज्योतिष पंचांगों के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 30 अगस्त 2023 को सुबह 10:58 बजे से होगा। और पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा।
🌻इस बार भद्रा 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी जो रात्रि 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद भद्रा मुक्त समय होने से रक्षाबंधन संपन्न किया जाएगा। अतः कुछ विद्वानों के अनुसार रात्रि में रक्षाबंधन राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है अतः 31 अगस्त दिन गुरुवार को प्रात:07:05 तक पूर्णिमा तिथि है अतः जब हम अपने देश भारतवर्ष में अधिकतर हिंदू सनातनी त्योहारों को सूर्योदय के अनुसार मानते चले आ रहे हैं तो यह भारतवर्ष का प्रमुख त्यौहार है भाई बहनों का अटूट रिश्ते का त्यौहार है श्रावणी उपक्रम रक्षाबंधन जो 31 अगस्त दिन गुरुवार को ही पूरे दिन सर्वसम्मति से मनाना चाहिए जो उचित भी है
🔶क्या है भद्रा
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🌷शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से होता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में, भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी क्रूर बताया गया है। इस उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उसे कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। जहां उसका नाम विष्टी करण रखा गया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। इसलिये इस बार भद्रा का साया समाप्त होने पर ही रक्षाबंधन अनुष्ठान किया जाता है। लेकिन इस बार भद्रा मुक्त रक्षाबंधन होने से यह बहनों के लिये बहुत ही हर्ष का पर्व है।
🍁रक्षाबंधन अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त🌸 सुबह 06 बजकर02 मिनट से शाम 09 बजकर 05 बजे तक रहेगा।
♦️रक्षाबंधन के लिये अपराह्न (दोपहर) का मुहूर्त👉 दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक
रहेगा। इसके बाद दोपहर 3:30 से 6:00 तक रक्षाबंधन श्रावणी उपक्रम करने का अत्यंत शुभ मुहूर्त माना जाएगा
💥रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इस बार 31अगस्त यानि गुरूवार के दिन है। वहीं इस पावन पर्व पर विशेष योग भी बन रहे हैं। दरअसल पूर्णिमा तिथि सुकर्मा योग लग रहा है। वैदिक ज्योतिष में सुकर्मा योग बनने से आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी और आपके रूके हुए काम पूरे हो जाएंगे। नौकरीपेशा वालों को कार्यक्षेत्र में उन्नति और पारितोषिक भी मिल सकता है। इसलिए यदि आप किसी शुभ काम को इस योग में शुरू करते हैं तो काफी उत्तम रहता है।
🌺वैसे तो रक्षा बंधन का मुहूर्त सुबह 06:02 से शाम 06:00बजे तक रहेगा लेकिन स्थानीय मान्यताओं अनुसार कुछ लोग शुभ चौघड़िए या अभिजीत मुहूर्त देखकर भी राखी बांधते है उनकी सुविधा अनुसार चौघड़िया और अभिजीत मुहूर्त भी दिए जा रहे है।
🌻चौघड़िया अनुसार राखी बांधने का शुभ समय
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🌷प्रातः 06:02से 09:05 तक अमृत और चर, का समय रहेगा
🌷दोपहर 12:20से 01:50तक लाभ का चौघड़िया मुहूर्त रहेगाजो बहुत शुभ माना जाएगा
🌷इसके बाद सांय03:30 से06:00तक शुभ और अमृत का चौघड़िया रहेगा जो हर तरह से शुभ माना जाएगा
🍁रक्षाबंधन के विशेष उपाय
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🔷यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
🔶रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे।
🔷उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके।
🔶ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं।
🌸इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।
Raksha Bandhan 2023