कांग्रेस का हाथ थामने से पहले CPI के दफ्तर से AC भी निकाल ले गए कन्हैया कुमार

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जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मंगलवार को जिग्नेश मेवाणी के साथ कांग्रेस का हाथ थामने की चर्चाएं हैं। इस बीच खबर है कि उन्होंने पटना में सीपीआई के राज्य कार्यालय अजय भवन के एक कमरे में खुद का लगवाया एसी भी दो महीने पहले निकाल लिया था। सूत्रों के मुताबिक उनकी सीपीआई छोड़ने की चर्चा काफी दिनों से चल रही थी। अब कमरे से एसी निकाल ले जाने की बात से यह और पुष्ट होती दिख रही है। सीपीआई के प्रदेश सचिव रामनरेश पांडेय ने लाइव हिंदुस्तान से बात करते हुए कार्यालय से कन्हैया के एसी ले जाने की बात मानी लेकिन साथ ही जोड़ा कि उनका ही लगाया था, वो लो गए।

रामनरेश पांडेय ने कहा कि कन्हैया कुमार ने अपने और अपने लोगों के लिए प्रदेश कार्यालय में अपने कमरे में एक एयर कंडीशनर (AC) लगवाया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने एसी ले जाने के लिए इजाजात भी मांगी। हमने उनके कहा कि यह आपकी ही संपत्ति है। आप इसे ले जा सकते हैं। कन्हैया कुमार ने अपनी पार्टी के प्रमुख से कहा कि उन्होंने कहीं और कमरा ले लिया है, जहां वे इस एसी को लगाएंगे।

कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने की भले ही अटकलें लग रही हों। कार्यक्रम भी लगभग तय हो चुके हों, लेकिन सीपीआई को इसकी कोई खबर नहीं है। बीते मंगलवार को कन्हैया कुमार का दिल्ली में पार्टी के नेता इंतजार करते रह गए कि वे आएंगे और बयान जारी करेंगे, जिसका आदेश सीपीआई के बड़े नेताओं ने ही दिया था। हालांकि उन्हें निराथा हाथ लगी। कन्हैया वहां नहीं पहुंचे।

बेगूसराय से 2019 में 4 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए थे कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार का ताल्लुक बिहार के बेगूसराय जिले से है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनावी किस्तम भी आजमाई थी। हालांकि उन्हें भाजपा नेता गिरिराज सिंह के मुकाबले 4 लाख के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। बेगूसराय में भूमिहार मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा मानी जाती रही है और कन्हैया कुमार भी भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में वह खुद को साबित करने में विफल रहे। इसके बावजूद पार्टी मानती है कि बिहार में नए चेहरे की जरूरत है। छात्र नेता के तौर पर उन्हें संगठन का अनुभव है। बिहार कांग्रेस के नेता अमरिंदर सिंह कहते हैं कि कन्हैया के आने से पार्टी को फायदा होगा क्योंकि कन्हैया वही मुद्दे और लड़ाई लड़ रहे हैं जिन्हें कांग्रेस उठाती रही है।

रिपोर्ट : प्रशांत सिंह 

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