27 सितंबर : भारत माता के महान सपूत भगत सिंह का जन्मदिन,जानें भगत सिंह को कैसे याद करता है लाहौर

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नई दिल्ली. साल के नौवें महीने का यह 27वां दिन इतिहास में भारत माता के सबसे लाडले पुत्र और उसे अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए 23 बरस की छोटी सी उम्र में फांसी के फंदे पर झूल गए अमर शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है. अविभाजित पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान में) में 27 सितंबर 1907 को जन्मे भगत सिंह (Bhagat Singh) बहुत छोटी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और उनकी लोकप्रियता से भयभीत ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 बरस के भगत को फांसी पर लटका दिया. कृतज्ञ राष्ट्र आज शहीदे आजम 114वीं जन्म जयंती पर उन्हें याद कर रहा है. हालांकि भगत सिंह के विचार और उनकी लोकप्रियता किसी सरहद की मोहताज नहीं है. भगत सिंह को याद करने वाले सीमा पार पाकिस्तान में भी हैं, तो हिंदुस्तान में भी. बता दें कि भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान (Pakistan) के पंजाब (Punjab) प्रांत की मौजूदा तहसील जरनवाला के बंगा चक 105 जी में हुआ था. लाहौर (Lahore) में भगत सिंह से जुड़ी जगहों पर उनकी 114वीं जयंती की तैयारी शुरू हो गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक लाहौर की सैयदा दीप भगत सिंह के दीवानों में से एक हैं. और हर साल उनकी जयंती और शहादत दिवस पर कार्यक्रम का करती हैं. सैयदा कहती हैं कि ‘लाहौर ऐसी जगह है, जहां भगत सिंह ने पढ़ाई की और आजादी के लिए फांसी पर झूल गए. यहां की आबोहवा में उनकी विचारधारा का प्रभाव है.’ सैयदा ने कहा कि लाहौर के ब्रेडलॉफ हॉल, इस्लामिया कॉलेज, फव्वारा चौक, सेंट्रल जेल सहित तमाम इलाकों में भगत सिंह की यादें बसी हैं.

 

लाहौर शहर के बीचों-बीच बना इस्लामिया कॉलेज स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा रहा. यहीं भगत सिंह ने ब्रिटिश अफसर जॉन पी सांडर्स पर गोली चलाई थी. सेंट्रल जेल में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई. जेल की जगह शादमान चौक बन गया है. इसे भगत सिंह चौक भी कहा जाता है.

भगत सिंह से जुड़ी किताबें-पत्र आज भी सुरक्षित
लाहौर के आर्काइव विभाग में भगत सिंह पर 1919 में दर्ज एफआईआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के कागजात और उनके लिखे पत्र हैं. एक पत्र में उन्होंने जेलर से मियांवली से लाहौर जेल भेजने की मांग की है. यहां बेजुबान दोस्त, गंगा दास डाकू जैसी कुछ किताबें भी हैं. जिन्हें भगत सिंह जेल में पढ़ा करते थे. लाहौर आर्काइव विभाग के सचिव ताहिर युसुफ कहते हैं, ‘भगत सिंह उनमें से हैं, जिनकी वजह से हम खुले आसमान में सांस ले रहे हैं. हमारा विभाग प्रदर्शनी लगाता है. उनसे जुड़े दस्तावेज दिखाए जाते हैं.’

 

23 मार्च को भी हुआ था कार्यक्रम
बता दें कि बीते मार्च में 23 तारीख को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की पुण्यतिथि के मौके पर लाहौर में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया था. उन्हें यहां 90 साल पहले अंग्रेजों ने फांसी दी थी. अंग्रेजों ने लाहौर में 23 साल की उम्र में 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह को उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी के फंदे पर चढ़ाया था. उन पर ब्रितानी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र करने और अंग्रेज पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स की कथित तौर पर हत्या करने का मुकदमा चलने के बाद यह सजा दी गई.भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने स्वतंत्रा सेनानियों की कुर्बानी की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया. लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा लाहौर पुलिस प्रमुख को इस कार्यक्रम को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए जाने के बाद यह कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम स्थल पर भगत सिंह की एक तस्वीर लगाई गई थी और बड़ी संख्या में लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और शहीद स्वंतत्रा सेनानी को श्रद्धांजलि दी थी

रिपोर्ट : प्रशांत सिंह 

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