अलीगढ़, 22 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में नेफ्रोलाजी और मेडिसिन यूनिट द्वारा चौदह वर्षीय गुर्दा रोगी फैज और 51 वर्षीय मुकेश पर ‘टन्नेल्ड कैथेटर प्लेसमेंट’ सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
रोगी फैज़ तथा मुकेश अनिद्रा की समस्या, आँखों कि सूजन, मांसपेशियों में ऐंठन, सूजन, बार-बार पेशाब करने की इच्छा, भूख न लगना, थकान, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थता जैसी समस्याओं से ग्रस्त थे और उनका रोग धीरे धीरे किडनी के फेल हो जाने जैसी गंभीर समस्या को जन्म दे रहा था जिसके लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती।
फैज और मुकेश की जांच करने वाले डाक्टरों ने अपने परीक्षण को तेज करते हुए उन्हें सूचित किया कि अन्य सभी क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से ग्रस्त रोगियों की तरह, उनके लिए किडनी प्रत्यारोपण की योजना तभी बनाई जा सकती है जब वे सप्ताह में तीन बार आंतरिक जुगलर तथा फेमोरल प्लेसमेंट के बाद हेमोडायलिसिस प्रक्रिया पूरी कर लें।
मेडिसिन विभाग के डाक्टर सैफ कैसर जो हाल में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ से डीएम नेफरोलोजी कोर्स पूर्ण कर वापस जेएनएमसी लोटे हैं ने बताया कि फैज और मुकेश ने सभी उम्मीदें खो दी थीं। परन्तु उन्होंने उन दोनों पर ‘टन्नेल्ड कैथेटर प्लेसमेंट’ का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। फैज़ और मुकेश दोनों को पुनः जीवन प्राप्त हुआ है और वे एक नयी आशा से अपने भविष्य की ओर देख रहे हैं। वे अब गुर्दे के प्रत्यारोपण की योजना भी बना सकते हैं’। उन्होंने बताया कि सप्ताह में दो दिन सोमवार व शनिवार को विशेष ओपीडी में वह अपने वरिष्ठ सहयोगी डाक्टर मुहम्मद असलम के साथ गुर्दा रोगियों को देख रहे हैं।
मेडीसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अंजुम मिर्जा चुगताई ने जोर देकर कहा कि टन्नेल्ड कैथेटर (पर्मकैथ) प्लेसमेंट कुछ चुनिंदा केंद्रों पर की जाने वाली एक जटिल प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद देश भर में ऐसी प्रक्रियाओं के लिए प्रतीक्षा समय बढ़ रहा है। जेएनएमसी में चिकित्सा विभाग सीकेडी और अन्य रोगों से पीड़ित लोगों को राहत प्रदान कर रहा है। हमारे पास इंटरवेंशनल नेफ्रोलाजी, हेमोडायलिसिस, पेरिटोनियल डायलिसिस, प्री-रीनल ट्रांसप्लांट वर्क-अप और स्क्रीनिंग और पोस्ट-रीनल ट्रांसप्लांट फालो-अप और प्रबंधन में विशेषज्ञता वाले अत्यधिक कुशल डाक्टर उपलब्ध हैं।
डाक्टरों को बधाई देते हुए अमुवि कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जेएनएमसी के चिकित्सक जटिल प्रक्रियाओं का संचालन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जबकि कई अस्पताल कोविड लहर के कारण सर्जरी को टाल रहे थे। परन्तु इस परिस्थिति में भी जेएनएमसी के चिकित्सकों ने कभी अपनी सेवाओं से मुंह नहीं मोड़ा।