बुलडोजर एक्शन पर लग सकती है रोक !

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Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 सितंबर) को ‘बुलडोजर एक्शन’ के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह इस मामले पर गाइडलाइंस तैयार करेगी. उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन का चलन देखा गया. इस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या सिर्फ किसी का मकान इसलिए गिराया जा सकता है, क्योंकि वह एक आरोपी है? कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गाइडलाइंस तैयार करेगी, जो पूरे देश में लागू होगी.

हालांकि, बुलडोजर एक्शन की शुरुआत एकदम से नहीं हुई है. पहले की सरकारों में अवैध कब्जों को हटाने के लिए बुलडोजर चलवाए जाते थे. मगर बुलडोजर एक्शन को लोकप्रियता तब मिली, जब यूपी में बीजेपी की सरकार आई. बुलडोजर एक्शन ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी पॉलिटिकल ब्रांड बनाने में काफी ज्यादा मदद की. ऐसे में आइए जानते हैं किन यूपी में होने वाले बुलडोजर एक्शन के मॉडल को किन-किन राज्यों में अपनाया गया.

यूपी में हुई सबसे पहले बुलडोजर एक्शन की शुरुआत

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में ‘उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम’ के तहत लगभग 15,000 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए और कई आरोपियों के ‘अवैध रूप से निर्मित’ घरों को भी ध्वस्त करवाया. उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था सुधारने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए उनके खिलाफ बुलडोजर एक्शन की शुरुआत की. इसका फायदा बीजेपी को 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मिला.

सरकार में दोबारा लौटने पर योगी सरकार ने कुछ ही हफ्तों के भीतर दुष्कर्म के कई आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलवाए, ताकि उन पर सरेंडर का दबाव बनाया जा सके. इस साल जून में, मुरादाबाद और बरेली में दो अलग-अलग एफआईआर में नामित लोगों की छह संपत्तियों को ध्वस्त किया गया. पहला मामला 22 जून को बरेली में गोलीबारी से जुड़ा हुआ था, जबकि दूसरा 26 जून को मुरादाबाद में एक विवाहित महिला को उसके मायके से अपहरण करने की कथित कोशिश से संबंधित था.

बीजेपी शासित किन राज्यों में दिखा बुलडोजर एक्शन?

अपराधियों के खिलाफ एक्शन के बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ  की छवि ‘बुलडोजर बाबा’ के तौर पर बन गई. धीरे-धीरे बीजेपी शासित कई राज्यों ने योगी के इस मॉडल को अपनाना शुरू किया और आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलवाए गए.

मध्य प्रदेश: योगी के बाद बुलडोजर एक्शन को अपनाने वाले सबसे पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान थे. मध्य प्रदेश में उनकी छवि एक मधुर और मिलनसार नेता के तौर पर बनी हुई थी, जिसे उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले बदल लिया. शिवराज ने खरगौन में हुई सांप्रदायिक झड़प के बाद अप्रैल 2022 में बुलडोजर एक्शन का फैसला लिया. उनकी सरकार ने 16 घरों और 29 दुकानों-ढांचों को गिरा दिया. जल्द ही उन्हें लोग ‘बुलडोजर मामा’ बुलाने लगे.

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शिवराज के नक्शेकदम पर चलते हुए नजर आए. उन्होंने पिछले साल 14 दिसंबर को भोपाल में 10 मीट की दुकानों को ढहाने का निर्देश दिया. ये कार्रवाई मांस की अवैध खरीद-फरोख्त को लेकर हुई. ठीक इसी दिन सरकार ने बीजेपी कार्यकर्ता पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया. हालांकि, कुछ दिन पहले मोहन यादव ने कहा था कि वह बुलडोजर एक्शन की संस्कृति के खिलाफ हैं.

असम: मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपनी छवि एक फायरब्रांड नेता के तौर पर बना ली है. ऐसे में उनके राज्य में बुलडोजर एक्शन होना लाजिमी है. हालांकि, सीएम सरमा को बुलडोजर चलवाना महंगा भी पड़ा है, क्योंकि उन्हें कई लोगों को मुआवजा देना पड़ा है. दो साल पहले नागांव जिले में पुलिस स्टेशन जलाने में कथित संलिप्तता को लेकर पांच परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया. हाल ही में सरमा सरकार को इन पांचों परिवारों को 30 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने पड़े हैं.

हरियाणा: दिल्ली से सटे हरियाणा में भी बुलडोजर एक्शन देखने को मिला है. पिछले साल जुलाई में नूंह में विश्व हिंदू परिषद की यात्रा के दौरान दंगे हो गए. इसमें छह लोग मारे गए, जबकि बड़ी संख्या में लोगों ने नूंह छोड़कर जाना शुरू कर दिया. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तथाकथित आरोपियों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलवाया. हालांकि, हरियाणा में बुलडोजर एक्शन की ज्यादा घटनाएं देखने को नहीं मिली हैं.

दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 16 अप्रैल, 2022 को हनुमान जयंती रैली के दौरान जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. काफी ज्यादा पथराव भी हुआ और हालात बिल्कुल तनावपूर्ण हो गए. इस घटना के कुछ दिनों बाद, बीजेपी के नेतृत्व वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने एक मस्जिद के सामने के गेट और एक दीवार सहित कई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया.

राजस्थान: बुलडोजर एक्शन का सबसे ताजा मामला राजस्थान में देखने को मिला है. राजस्थान के उदयपुर में भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने हाल ही में अपने क्लासमेट को चाकू मारने के आरोपी एक स्कूली छात्र के किराए के घर को ध्वस्त कर दिया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि मकान मालिक प्रशासन से ऐसा नहीं करने की गुजारिश करता रहा, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई.

गैर-बीजेपी शासित राज्यों में भी चले बुलडोजर

हालांकि, ऐसा नहीं है कि बुलडोजर एक्शन सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही देखने को मिला है. गैर-बीजेपी शासित राज्यों में भी बुलडोजर चलवाए गए हैं. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बुलडोजर एक्शन को गलत बताया था और कहा था कि जब तक आरोपी दोषी साबित नहीं हो जाता है, तब तक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. मगर राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम रहते अशोक गहलोत ने भी बुलडोजर एक्शन का सहारा लिया. पिछले साल जनवरी में जयपुर विकास प्राधिकरण ने शिक्षक भर्ती परीक्षा के क्वेश्चन पेपर लीक करने के आरोपियों के कोचिंग सेंटर को ढहा दिया था.

2020 में महाविकास अघाडी सरकार के समय भी महाराष्ट्र में बुलडोजर एक्शन देखने को मिला था. महाविकास अघाडी में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना शामिल हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बीएमसी ने कंगना रनौत के पाली हिल स्थित बंगले के एक हिस्से पर बुलडोजर चलवाया था. कंगना ने उस समय मुंबई की तुलना पीओके से कर दी थी, जिस पर काफी ज्यादा बवाल मचा था.

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