कनाडा खालिस्तानियों का गढ़ कैसे बना?

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फ़र्ज़ कीजिए अमेरिका में एक चर्च की दीवार पर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगी है. क्या ऐसी कल्पना भी कर सकते हैं हम? यकीनन नहीं. लेकिन एक देश है जहां गुरुद्वारे की दीवार पर देश के सबसे बड़े आतंकी की तस्वीर लगाई जाती है. देश- कनाडा. आतंकी – तलविंदर सिंह परमार. कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में सरे नाम का शहर है. इस शहर में एक गुरुद्वारा है. दशमेश दरबार. साल 2021 में इस गुरुद्वारे की बाहरी दीवार पर परमार की एक बड़ी सी तस्वीर लगाई गई.

कौन था तलविंदर सिंह परमार?

साल 1992. अक्टूबर का महीना. पंजाब के जालंधर जिले का कांग अरैयां गांव. गांव से बहने वाली एक नहर पर बने पुल से दो मारुति कार गुजर रही हैं. पौ फटे का वक्त. अचानक दोनों गाड़ियों पर कहीं से गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है.कार पास के एक खेत की तरफ़ मुड़ती हैं. दरवाजा खुलता है. और वापसी फायरिंग होने लगती है. इस तरफ़ AK -47 थी तो दूसरी तरफ़ पंजाब पुलिस की स्टैंडर्ड इश्यू राइफल. जब तक गोलियों का शोर शांत हुआ, कार में बैठे 6 लोग ढेर हो चुके थे. इनमें से एक का नाम था इंतेखाब अहमद जिया. इंतेखाब पाकिस्तान का रहने वाला था. और खालिस्तान आंदोलन के लिए ISI का पॉइंट पर्सन हुआ करता था. इंतेखाब का एनकाउंटर पंजाब पुलिस के एक लिए एक बड़ी जीत थी. लेकिन उस रोज़ इंतेखाब की मौत उतनी बड़ी खबर नहीं थी, जितनी उस शख़्स की, जो उस रोज़ इंतेखाब के बगल में ढेर होकर गिरा हुआ था. इस शख्स का नाम था तलविंदर सिंह परमार. तलविंदर परमार कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के बीच सबसे बड़ा नाम है. 2023 में भारत और कनाडा के बीच विवाद को ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में समझना है तो इस एक आदमी की कहानी आपको ज़रूर जाननी चाहिए. (Khalistan Movement Canada)

परमार के बारे में एक लाइन में कहें तो खालिस्तानी अलगाववादियों का मसीहा और एक समय में उग्रवादी संगठन बब्बर खालसा का प्रमुख हुआ करता था. हालांकि एक कड़वा सच ये भी है कि अधिकतर कनाडा वासियों के लिए खालिस्तान मुद्दा नहीं है. ये भारत की प्रॉब्लम है. इसलिए कनाडा के ग़ैर सिख नागरिकों के लिए परमार की ये पहचान ख़ास मायने नहीं रखती. परमार को कनाडा में एक घटना के कारण जाना जाता है. कौन सी घटना?

साल 1985. कनाडा के मांट्रियल एयरपोर्ट से एक फ्लाइट टेक ऑफ करती है. प्लेन का नाम एयर इंडिया कनिष्क. फ्लाइट का डेस्टिनेशन मुम्बई था. और बीच में लंदन रुकना था. हालांकि लंदन पहुंचने से पहले ही प्लेन में ब्लास्ट हो गया. 82 बच्चों सहित कुल 329 लोग मारे गए. जिनमें 270 से अधिक कनाडाई नागरिक थे. ये हमला ख़ालिस्तानी उग्रवादियों द्वारा किया गया था. और इस प्लान का मास्टरमाइंड था- तलविंदर सिंह परमार.
1970 के दशक में तलविंदर सिंह भारत से कनाडा पहुंचा. और जल्द ही ख़ालिस्तानी आंदोलन का एक बड़ा चेहरा बन गया. 1978 में उसने बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम के एक संगठन की शुरुआत की. इस वक्त तक पंजाब में अलगाववाद की आग भड़कने लगी थी.परमार विदेशों से इस आंदोलन की फंडिंग किया करता था. 80 के दशक में पंजाब में हुई हत्याओं में भी उसका नाम आया.

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