Holi 2022 Date: कब मनाएं होली 18 या 19 मार्च को? ज्योतिषाचार्य से जानिए पूजा का मुहूर्त और सही तारीख
Holi 2022 Date 18 or 19 March: बॉलीवुड की फेमस फिल्म शोले में गब्बर सिंह ने अपने गिरोह के सदस्यों से पूछा था कि होली (Holi) कब है ? वहीं आज भी ये सवाल देश में बार-बार पूछा जा रहा है. इस बार तारीख को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है कि आखिर होली 18 को है या फिर 19 तारीख को.
इस सवाल का जवाब ज्योतिषाचार्य अपने अलग अंदाज में दे रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने होली की पूजा का शुभ मुहूर्त भी बताया है. आप भी जानिए
- ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका की पूजन की मान्यता है इस बार होलिका का महापर्व 17 फरवरी गुरुवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग वणिज उपरांत बव करण तथा कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है.
- धर्म शास्त्रीय मान्यता के आधार पर देखें तो होलिका की पूजन का समय प्रदोष काल का माना जाता है. प्रदोष काल का समय शाम 6:40 से आरंभ होगा. ऐसी मान्यता है कि पारिवारिक सुख शांति तथा संतान के रोग दोष के निवारण के लिए एवं दीर्घायु के लिए होलिका का पूजन करना चाहिए.
भद्रा के भेद से पूजन का दोष नहीं
- भद्रा का अलग-अलग वास अलग-अलग प्रकार की स्थिति को दर्शाता है जिसे स्वर्ग में पाताल में पृथ्वी पर भद्रक के वास होने से क्या फल प्राप्त होता है आदि की स्थिति कार्य की सफलता से निर्भर करती है.
राशियों की ऐसी रहेगी स्थिति
- चंद्र राशि अनुसार भद्रा का निवास करती है.
- मेष, वृषभ, मिथुन तथा वृश्चिक राशि के चंद्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग लोक में रहती है.
- कन्या, तुला, धनु और मकर का चंद्रमा होने पर पाताल में रहती है.
- कुंभ, मीन, कर्क तथा सिंह का चंद्रमा होने पर भद्रा भूलोक अर्थात पृथ्वी पर रहती है.
- भूलोक वासिनी में वर्जित मानी गई है स्वर्ग तथा पाताल लोक वासिनी भद्रा शुभ मानी गई है. स्वर्ग में भद्रा हो तो धनधान्य की उपलब्धि होती है तथा पाताल लोक वासिनी भद्रा में धन का लाभ होता है.
बुध गुरु आदित्य का योग विशेष फलकारी
पंचांग की गणना के अनुसार कुंभ राशि पर सूर्य बुध गुरु का गोचर रहेगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार देखे तो सूर्य का शनि राशि पर परिभ्रमण साधना विशेष के लिए उत्तम बताया गया है. वहीं अगर बुध व गुरु का भी गोचर का इस प्रकार से युति कृत हो तो वो विशेष लाभकारी बताया जाता है. ये भी कहा जाता है कि सूर्य उपासना गणेश उपासना और नारायण की उपासना का ये विशेष दिन है. इस दृष्टि से इन तीनों की संयुक्त साधना का अनुक्रम स्थापित किया जा सकता है. ये करने से अनुकूलता के साथ-साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
परमपूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा (अध्यक्ष )
श्री गुरु ज्योतिषशोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली
सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी
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