UP अजब संयोग: एक्सप्रेस वे का फीता काटकर सत्ता की कुर्सी पर वापसी नहीं कर पाई हैं सत्तारूढ़ पार्टियां

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लखनऊ. कल प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश को जिस पूर्वांचल एक्सप्रेस की सौगात दी उसकी चर्चा इस समय हर ओर हो रही है. सत्तारूढ़ बीजेपी ने तो इसका श्रेय लेकर पूर्वांचल के चुनावी रण को जीतने का टारगेट बनाया ही है, साथ ही अखिलेश की सपा ने भी हर ओर प्रचार कर इस एक्सप्रेस-वे को अपनी उपलब्धि बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पर इस एक्सप्रेस वे के जरिए अपनी चुनावी नैया पार करने की तमन्ना रखने वाले इन राजनीतिक दलों को यह संयोग पता नहीं है कि ऐसे एक्सप्रेस वे पर गाड़ियां तो डेढ़ सौ की स्पीड से दौड़ सकती हैं, पर इन चिकने, मजबूत, चौड़े हाईवे पर से अभी तक किसी की चुनावी गाड़ी सरपट नहीं दौड़ सकी है. पहेलियां बुझाने की बजाय हम आपको साफ-साफ बताते हैं कि यूपी में पिछले कुछ सालों में एक्सप्रेस वे बनाने और उसका उद्घाटन करने वाली पार्टियों को इसका चुनावी फायदा नहीं मिल सका है. उल्टे एक्सप्रेस वे का फीता काटने वाले अपनी सत्ता और गंवा बैठते हैं.

पहला संयोग: मायावती  
एक्सप्रेस वे से चुनावी पटखनी लगने के इस संयोग का पहला झटका मायावती को लगा था. उन्होंने दिल्ली से बिहार के बीच उत्तरप्रदेश के रास्ते की यात्रा सुगम बनाने एक एक्सप्रेस वे का प्लान किया था, साथ ही अपनी सरकार के समय उन्होंने नोएडा से आगरा तक के फेमस यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया और नतीजा यह हुआ कि वह अगली बार 2012 में लड़ा चुनाव हार गई और यमुना एक्सप्रेस वे का फीता काटने का सौभाग्य उन्हें नहीं मिल सका.

दूसरा संयोग: अखिलेश यादव
2012 के विधानसभा चुनावों में सपा जीती. यमुना एक्सप्रेस वे के उद्घाटन का मौका सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ लगा. इसके बाद एक्सप्रेस वे बनाकर हारने का अगला संयोग खुद अखिलेश को ही झेलना पड़ा. उन्होंने यमुना एक्सप्रेस वे के आगे का एक और खंड बनाने का काम शुरू किया जो आगरा से लखनऊ तक जाता था. अपने ही कार्यकाल में उन्होंने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का साल 2016 में उद्घाटन भी कर डाला. इस पर ट्रैफिक भी शुरू करा दिया, पर अगले साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी का ट्रैफिक जाम हो गया. पार्टी सत्ता से बाहर हो गई

अब तीसरी बार क्या, देखना होगा!
2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा जीती और योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार राज्य में आई. उन्होंने भी पिछला संंयोग न देखते हुए एक्सप्रेस वे बनाने का काम जारी रखा. योगी के कार्यकाल में लखनऊ से बिहार की सीमा पर बसे गाजीपुर तक के बचे हुए खंड पर एक्सप्रेस वे बनाया गया. बीजेपी के इतने तेज प्रयासों से ही यह सबसे लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस अस्तित्व में आया है और उन्होंने इसका लोकार्पण भी कर दिया है. अब आगे देखना होगा कि एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने के बाद बीजेपी सत्ता की कुर्सी पर बैठने में कामयाब होगी या नहीं, उम्मीद है इस बार एक्सप्रेस वे बनाकर हारने वालों का यह ट्रेंड खत्म होगा और किसी सरकार के लिए तो एक्सप्रेस वे बनवाने का अच्छा फल मिलेगा ही.

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