Bhaiya Dooj 2021, Puja Vidhi, Muhurat: कल मनाया जाएगा भाई दूज का पावन त्योहार, जानिए शुभ मुहूर्त

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Bhai Dooj 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Significance: पांच दिवसीय दिवाली पर्व (Diwali Parav) का समापन भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन होता है. भाई दूज के दिन यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की परंपरा है. इस साल भाई दूज यानी यम द्वितीया नवंबर महीने की 6 तारीख को मनाया जाएगा.

भाई दूज तिलक समय

भाई दूज पर टीका का शुभ मुहूर्त 01:10 PM से 03:21 PM तक रहेगा।

भाई दूज से जुड़ी भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.

Bhaiya Dooj 2021: भाई दूज की पूजा-विधि

सबसे पहले बहन-भाई दोनों को मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी है फिर उसके बाद सबको अर्घ्य देना है. बहन अपने भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन 8 चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीव कर दें. ये सब करने के बाद इसके बाद बहन भाई को भोजन कराए. इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट दें. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं.

Bhai Dooj 2021: भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है. उनमें से एक इस प्रकार है. सूर्य की पत्नी संज्ञा से दो संताने थी. पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था. संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहाँ से चली गई. छाया को यम और यमुना से अत्यधिक लगाव नहीं था, लेकिन यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं. यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती और तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे.

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया. विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए और उन्हें भोजन कराया तथा तिलक लगाया. यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनवांछित वरदान मांगने को कहा.

यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे. इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे. इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे. यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया. तभी से इस दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है.

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