महंगे स्कूल, तीन-तीन ट्यूशन फिर भी अधूरी पढ़ाई — आखिर दोष किसका?

0

आज के समय में जब 5 साल का मासूम बच्चा भी तीन-तीन ट्यूशन पढ़ने को मजबूर है, तब शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना लाज़िमी है। अभिभावक बच्चों को देश के नामचीन और महंगे स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं, मोटी फीस चुका रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें कहना पड़ रहा है कि “स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती।”

ऐसा नहीं है कि अभिभावक या शिक्षक इस हकीकत से अनजान हैं। हर कोई जानता है कि शिक्षा व्यवस्था में कहाँ और क्या खामी है, लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं। बच्चे की बचपन की हँसी किताबों के बोझ और ट्यूशन के बोझ तले कहीं खोती जा रही है।

कक्षा में शिक्षकों की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम की व्यावहारिक उपयोगिता और निजी स्कूलों की केवल शुल्क वसूली केंद्र बन जाने की प्रवृत्ति आज की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। वहीं दूसरी ओर, अभिभावक भी बच्चों को अंकों की दौड़ में शामिल करने के लिए उन्हें बचपन से ही ट्यूशन और अतिरिक्त कक्षाओं में धकेल रहे हैं।

आख़िर इस व्यवस्था में दोष किसका है? स्कूल प्रशासन का, सरकारी नीतियों का, समाज का या अभिभावकों का — यह सवाल अब सार्वजनिक विमर्श का विषय बनना चाहिए। जब तक इस पर खुलकर चर्चा नहीं होगी और ठोस बदलाव नहीं लाया जाएगा, तब तक शिक्षा महज़ एक कारोबार बनकर रह जाएगी, और बच्चों का बचपन किताबों और कोचिंग सेंटरों में दम तोड़ता रहेगा।

रिपोर्ट : प्रशांत कुमार

https://www.linkedin.com/in/prashant-singh-7907681b9/

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अन्य खबरे