Shardiya Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि कब से हो रहे आरंभ? जानें कलश स्थापना विधि, नवमी की डेट और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है,नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। आश्विन मास की शारदीय नवरात्रि 2021 की प्रमुख तिथियां, आइए जानें कब से है नवरात्रि पर्व और कब मनेगा दशहरा पर्व
शरद नवरात्रि 2021 की तिथियां
🌸नवरात्रि दिन 1 (प्रतिपदा)घटस्थापना : मां शैलपुत्री पूजा, 07 अक्टूबर 2021 (गुरुवार) दोपहर 1:46 तक पड़वा तिथि तत्पश्चात द्वितीय तिथि मान्य होगी
🍁नवरात्रि दिन 2 (द्वितीया)मां ब्रह्मचारिणी पूजा,08अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) प्रातः 10:48 तक का द्वितीया तिथि तत्पश्चात तृतीया तिथि प्रारंभ होगी
🌸नवरात्रि दिन 3 (तृतीया)मां चंद्रघंटा पूजा, 09 अक्टूबर 2021, (शनिवार),08 अक्टूबर 2021 सुबह 10:48 से 9 अक्टूबर 2021 सुबह 7:48 तक तृतीया तिथि मान्य होगी
🏵नवरात्रि दिन 4 (चतुर्थी)मां कूष्मांडा पूजा, 09 अक्टूबर 2021 (शनिवार) ,(सुबह07:48के बाद चौथ मान्य होगी)
🌟नवरात्रि दिन 5 (पंचमी)मां स्कंदमाता पूजा,10 अक्टूबर 2021 (रविवार)
🌹नवरात्रि दिन 6 (षष्ठी)मां कात्यायनी पूजा, 11 अक्टूबर 2021 (सोमवार)
🌲नवरात्रि दिन 7 (सप्तमी)मां कालरात्रि पूजा, 12 अक्टूबर 2021 (मंगलवार)
🌷नवरात्रि दिन 8 (अष्टमी)मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा, 13 अक्टूबर 2021, (बुधवार)
🔥नवरात्रि दिन 9 (नवमी)मां सिद्धिदात्री,महानवमी , नवरात्रि पारणा 14 अक्टूबर 2021, (गुरुवार)
💥नवरात्रि दिन 10 (दशमी)दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी 15 अक्टूबर 2021, (शुक्रवार)
🌺shri guru jyotish shodh sansthan 07अक्टूबर 2021 को घरों में की जाएगी घट स्थापना, दुर्गा पूजा काल में सूर्य व चंद्रमा दोनों ही कन्या राशि में रहेंगे
🌻 भारतीय पंचांगो के अनुसार इस साल गुरुवार के दिन 07 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रा के लिए घट स्थापना की जाएगी।परन्तु इस बार एक नवदुर्गा कम पड़ रहा है इस बार केवल 8 दिन के नवरात्री के व्रत होंगे, गुरुवार 07 अक्टूबर दिन से मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूप में पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद 15 अक्टूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा परंतु इस बार की शरद नवरात्रि 9 दिन की जगह 8 दिन ही मान्य रहेंगे इस बार तृतीया (तीज)और चतुर्थी (चौथ)दोनों एक ही दिन शनिवार, की मानी जाएगी
🌸घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त
🍁 दिवाकाल (सुबह) 10:40 से दोपहर 1:35के बीच में तीन विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे इसी समय में अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा जो इस दिन का सर्वोत्तम घट स्थापना का मुहूर्त कहा जाएगा
🌷पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी व नौवें दिन सिद्धिदात्री स्वरूप है
♦shri guru jyotish shodh sansthan *♦नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना? जानें शुभ मुहूर्त और नियम
☘नवरात्रि त्योहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. ये त्योहार देश के कोने-कोने में मनाया जाता है. इस पर्व में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान लोग 9 दिनों तक उपवास भी रखते हैं. नवरात्रि में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है. आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े कुछ नियम
🌷विश्वप्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार (घट)कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
🌺शरद नवरात्रि 07 अक्टूबर 2021 से शुरू होंगी और इसी दिन घट (कलश )की स्थापना की जाएगी. मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश की स्थापना हमेशा उचित मुहूर्त में ही करनी चाहिए. इस बार नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 18 मिनट से लेकर सुबह07 बजकर 45 मिनट तक शुभ का विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेगा इस मुहूर्त में नौकरी पेशा लोगों के लिए यह घट स्थापना हेतु उत्तम शुभ मुहूर्त माना जाएगा इस मुहूर्तो में घट स्थापना करने से व्यक्ति को हर प्रकार की सुख समृद्धि एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होंगे इसके अतिरिक्त दिवाकाल (सुबह) में 10:40 से दोपहर 1:35 तक चर ,लाभ ,अमृत के तीन विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त भी उपलब्ध रहेंगे इसी समय में अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा इसमें व्यापारी ,कल कारखाने शिक्षा क्षेत्र से लगे लोग एवं ग्रहस्थ व्यक्तियों के लिए घट स्थापना का अति उत्तम शुभ मुहूर्त है इस समय में घट स्थापना करने से पूजा पाठ करने से हर प्रकार की खुशहाली सुख समृद्धि व्यक्तियों को प्राप्त होगी
नवरात्रि में ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी मां की आराधना करने से मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना का मतलब है कलश की स्थापना करना
कलश स्थापना करते समय नदी की रेत का उपयोग करें. इस रेत में जौ भी डालें. इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें. फिर ‘ॐ भूम्यै नमः’ कहते हुए कलश को सात अनाजों के साथ रेत के ऊपर स्थापित करें. कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलते रहना चाहिए
🏵कलश स्थापना से जुड़े खास नियम
कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करें
🌻कलश स्थापना करने के लिए पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं. इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें
🍁कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए. कलश को किसी ढक्कन से ढका है, तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें
♦अगर कलश की स्थापना कर रहे हैं, तो दोनों समय मंत्रों का जाप करें, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए
⭐पूजा करने के बाद मां को दोनों समय भोग लगाएं, सबसे सरल और उत्तम भोग हैं लौंग और बताशा
🔥मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है, पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं
🌹नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें
🌞प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250