अलीगढ़, 20 सितंबरः अल्ज़ाइमर एक प्रकार का डिमेन्शिया रोग है, इस रोग में रोगी को भूलने की परेशानी बढ़ती जाती हैं। इस बीमारी में 65 वर्ष की आयु के लोगों में इसकी व्यापकता 5 प्रतिशत होती है। उम्र बढ़ने के साथ साथ इसकी व्यापकता भी बढ़ती जाती है। यह बात जेएन मेडिकल कालिज के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष एवं मानसिक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एसए आज़मी ने 21 सितम्बर मंगलवार को विश्व भर में मनाये जाने वाले विश्व अल्जाइमर्स दिवस के अवसर पर कहीं।
उनका कहना है कि इस रोग में रोगी भूलने लगता है बाद में उसे समय, व्यक्ति एवं स्थान को पहचानने मे ंपरेशानी होती। डा. आज़मी ने बताया कि बिना उद्देश्य के रोगी इधर उधर घूमने लगता है। अवसाद, चिड़चिड़ापन तथा गुस्सा करने लगता है। बाद में रोग की गंभीरता बढ़ने के साथ साथ उसे शक होने लगता है। लगभग 40 प्रतिशत रोगियों को वह चीजें भी दिखाई पढ़ने लगती हैं जो कि उसके आस पास नहीं होती।
डा. आज़मी ने कहा कि औरतों में, सर में चोट किसी को लगी हो या परिवार में जहां अल्जाइमर का इतिहास रहा हो वहां पर इस रोग के होने का खतरा बढ़ जाता है। जहां तक इसके कारण का सवाल है तो मस्तिष्क में जैव रासायनिक तत्वों में गड़बड़ी, मस्तिष्क में पपड़ी बन जाती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं में हृास या ज्यादा टूट फूट के कारण ब्रेन का आयतन कम हो जाता है। इलाज के लिए औषधीय इवं गैर औषधीय विधि का उपयोग किया जाता है।
प्रो. आज़मी ने कहा कि रोगी के वातावरण में परिवर्तन भी जरूरी है। जैसे रोगी के कमरे में उचित प्रकाश का प्रबंधन, बड़े अक्षरों एवं गिनती वाला कैलेंडर ताकि रोगी को दिन की तारीख मालूम हो सके। उचित खाने के व्यवस्था, साफ सफाई और रोगी के सम्मान के साथ देख रेख जरूरी है। उन्होंने कहा है कि अल्जाइमर का पता चलते ही निकटतम अस्पताल में चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। रोगी के सामने सम्मान के साथ पेश आना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज तथा आमजन को अल्जाइमर के प्रति जागरूक होना एक अच्छी बात और समझदारी भरा कदम होगा।