किसानों की वो कौनसी मांगें हैं जिनके पूरे होने पर ही वो आन्दोलन से हटेंगे पढ़े पूरी खबर ?

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19 नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने माफी मांगी और भावुकता के साथ कृषि कानून वापस लेने की बात कही, तो लगा कि अब आंदोलन खत्म हो जाएगा, किसान अपने अपने घर लौट जाएंगे. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा. संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 मांगें सरकार के सामने रख दी हैं. और उनमें से एक-दो मांगें ऐसी हैं, जिनको मानना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.

इनमें से एक मांग है किसानों को MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानूनी अधिकार देने की मांग. कई लोग कह रहे हैं कि ये संभव ही नहीं है. कुछ किसान नेता भी कह रहे हैं कि अगर MSP का कानूनी अधिकारी किसानों को दे दिया तो देश दिवालिया हो जाएगा. जबकि इस मांग को सही बताने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के अपने तर्क हैं. तो इसपर हम डिटेल में MSP पर बात करेंगे, उससे पहले किसानों की मांग बताते चलते हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा ने PM मोदी को एक खुला खत लिखा है, और उसी में अपनी 6 मांगें बताई हैं. क्या हैं ये.

1. पहली तो वही है किसानों को MSP का कानूनी हक देने वाली.
2. दूसरी मांग- किसान चाहते हैं कि सरकार “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस ले. किसानों ने ये भी कहा है कि वार्ता के दौरान सरकार ने ड्राफ्ट वापस लेने का वादा किया था, लेकिन अब वादाखिलाफी कर रही है.

तो बिजली संशोधन विधेयक वाले इस ड्राफ्ट के बारे में हमने पहले भी कई दफा आपको बताया है. ड्राफ्ट में इस तरह का प्रावधान है कि उपभोक्ता सीधे बिजली कंपनियों को बिजली बिल का भुगतान करेंगे और फिर सब्सिडी वाला सरकार डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत उपभोक्ताओं के अकांउट में डालेगी. किसानों को लगता है कि इससे सब्सिडी बंद कर दी जाएगी – जैसे रसोई गैस सब्सिडी के मामले में हुआ, तो ऐसी चिंताएं किसानों की हैं.

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