Bhai Dooj 2024 Date: कब और क्यों मनाते हैं भाई दूज का पर्व? क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त
भाई दूज का त्योहार देशभर में 03 नबम्वर 2024 रविवार को मनाया जाएगा। भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी उम्र दीर्घायु ,उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं। इसके बदले भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए तोहफा देता है भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में ही बहनों को भाई के माथे पर टीका लगाना चाहिए। मान्यता है कि भाई दूज के दिन पूजा करने के साथ ही व्रत कथा भी जरूर सुननी और पढ़नी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भाई दूज तिलक शुभ मुहूर्त
🍁 भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसारभाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त प्रात:07:55 से दोपहर 12:02 तक “चर”लाभ,और अमृत”के तीन चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे जो बहनों के भाईयो के माथे पर टीका करने के लिए उत्तम समय रहेगा इसके बाद दोपहर 01:28 से दोपहर 02:53 के बीच “शुभ” का चौघड़िया मुहूर्त रहेगा इसमें भी माताएं बहने अपने भाई के माथे पर टीका कर सकती हैं यह भी शुभ समय माना जाएगा
भाई दूज कथा
🍁भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
🍁यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
🍁यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।🌞प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250